Saturday, January 17, 2009

मुन्ना भाई का लखनऊ से चुनाव लडना…

भाई लोगों आज कल चुनावी राजनीति गरमा रही है और जिसको देखो चुनावी बयान बाजी और अपनें वोटरों को रिझानें के प्रयास में लगा हुआ है । मुन्ना भाई यानी की संजय दत्त को लखनऊ से अपना उम्मीदवार बनाना भी आग में हवा देने जैसा रहा । इस राजनीति से सबसे अधिक नुकसान का आंकलन तो चुनाव के बाद ही होगा मगर फ़िलहाल तो पशोपेश की स्थिति कांग्रेस के लिए बनती प्रतीत होती है । जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ही उत्तर प्रदेश में अपनें अस्तित्व को बचानें की जद्दोजहद में हैं तो दोनो एक दूसरे के लिए सहारा बन कर चुनावी वैतरणी पार करनें में लगी हैं । इसमें समाज़वादी पार्टी का संजय दत्त को चुनाव में खडा करना कांग्रेस के लिए सांप-छुछुंदर की स्थिति के समान ही है ।

मगर प्रश्न आज भी वही है, क्या संजय दत्त जिनकी ना कोई पहचान है लखनऊ से, और ना ही कोई सामाजिक, राजनीतिक और सांस्क्रितिक रिश्ता ही है । तो लखनऊ की जनता के लिए क्या यह एक तोहमत के समान नहीं होगा? याद कीजिए जितनें भी फ़िल्मी कलाकार राजनीति में आए और संसद में पहुंचे उनमें से कितनें लोग कितनी बार संसद में अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर बहस में शामिल हुए ? उसी बीच संजय दत्त जो स्वयं एक आपराधिक गतिविधिओं में लिप्त रहे हैं या पहले रह चुके हैं, लखनऊ की नुमाईंदगी कैसे कर सकते हैं ।

आप लोग ही मुझे बताएं की संजय दत्त की लखनऊ संसदीय सीट से भागी-दारी लोक-तंत्र के लिए एक मजाक नहीं तो और क्या है । क्या समाजवादी पार्टी के पास लखनऊ संसदीय सीट से लडानें के लिए कोई चेहरा नहीं है । तो भाई लोगों मेरी तो लखनऊ की जनता से यही अपील है कि अपनें भले और बुरे को पहचानें और अपनी समझदारी का परिचय दे…
देव कुमार
जनवरी १७, २००८
http://dev-ki-dunia.blogspot.com
से साभार

आई सी सी ने किया भारितियो को नजरअंदाज

हाल ही में विश्व की प्रमुख क्रिकेट संस्था ने अपनी लिस्ट में सचिन तेंदुलकर को स्थान न देकर एक हाश्याप्रद निर्णय लिया है। सचिन ही नही इंडिया का कोई भी क्रिकेटर इस लिस्ट में नही है सिवाए गावस्कर के। वो भी २०वे पायदान पे। दुनिया के महान बल्लेबाज का नाम न होना पाने आप में हैरानी की बात है। इससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है की आई सी सी की रैंकिंग प्रणाली कितनी पारदर्शी और उचित है.
यही नही इस लिस्ट में ब्रायन लारा और स्टावे जैसे प्लायेर्स भी नही सामिल। भाई ये बात तो अपने को समझ नही आती की ये किस गणित का प्रयोग करके लिस्ट बनाई जाती है। फिलहाल में इतना ही कहूँगा की हमर तेंदुलकर भइया किसी की रंकिंग के मोहताज नही है। जिस आदमी की तुलना दोन ब्राडमैन से की जाती हो ...उसके आगे क्या कहना। भारत ही नही बल्कि पुरे विश्व समुदय को ये बात अच्छे से पता है की तेंदुलकर क्या चीज है फ़िर इन पिल्लै जैसे आई सी सी के मुट्ठी भर अधिकारियो के द्वारा बनाई गई ये लिस्ट क्या चीज है।

दुनिया में लारा और तेंदुलकर जैसे महँ बल्लेबाजो का कोई मुकाबला ही नही है..............