Tuesday, April 28, 2009

पहचान खोते न्यूज़ चैनल्स- रियल लाइफ नही रील लाइफ बनती हेड लाइंस

क्या जमाना आ गया है दोस्तों। लगता है अब दुनिया में खबरों का अकाल सा पड़ गया है। तभी तो आज कल न्यूज़ चैनल्स रियल लाइफ से हट कर रील लाइफ की खबरों पे अपना फोकस कर रहे है। एक चैनल में सुबह सुबह कालरस चैनल पे आने वाले सीरियल बालिका वधु की कहानी को दिखा रहे है। लगता है है की अब भारत में कोई मुद्दा नही है। कोई समस्या नही है, कोई सूचना नही। नही है तभी तो अब ये लोग इन चीजो को ही दिखा रहे है।
जब प्राइवेट न्यूज़ चैनल्स की सुरुआत हुई थी तब एसा लग रहा था की क्रांति आ गई। और हुआ भी बहुत कुछ बदला इन न्यूज़ चैनल्स ने। लेकिन आज फ़िर से ये लगने लगा की ये चैनल्स अपनी दिसा खो रहे है। अब आप इन न्यूज़ चैनल्स में देखो तो आपको कोई काम की ख़बर ही नही दिखेगी।
या तो इनमे विज्ञापन आते है या फ़िर एसी न्यूज़ जिनका कोई मतलब नही और समाज को कोई फायदा नही। कुछ न्यूज़ चैनल तो एसी एसी कहानिया बताते है तो समाज में भ्रांतियां फैला रहे है।
किसी एक बात को पकड़ कर उसे एसा दिखाते है जिससे मनो रामायण का ग्रन्थ दिखा रहे हो। कार्टून , पिक्चर और संवाद एसा होता है की जैसे कोई चाइल्ड प्रोग्राम आ रहा हो। खैर इसमे इनका क्या लॉस है इनका तो उल्लू सीधा हो रहा है। भारत में पैसे वालो की कमी नही और वो इनको विज्ञापन दे रहे है और ये मजे ले रहे है।
क्या होगा इस भारत का। एक वास्तु जिसकी कीमत १ रूपया है इन विज्ञापनों की वजह से वो कान्सुमेर तक आते आते ५ रूपया की हो जाती है।
आज सुबह ही मई सुन रहा था की में कोई नई बीमारी फ़ैल रही हैमई ने सोचा चलो न्यूज़ चैनल में बता रहे है तो कुछ इन्फोर्मेशन मिल जायेगी की कैसे फैलती है क्या उपाय है बचने के....... लेकिन काफ़ी देर तक मै सुनता रहामुझे कोई इन्फोर्मेशन तो मिली नही हा ये जरूर पता चल गया की आनंदी और जगदीश की मैरिज़ आनिवेर्सरी मनाई जा रही हैचलो कोई नही ये पता चले चल; की बीमारी से बचने के क्या उपाय है, ये तो पता चल गया की आनंदी के घर खुशी का महोले हैक्या मजाक है जो हकीकत में है नही उसपे फोकस

यही हाल है इस इंडिया का । हमे भी मजा आता है ये सब देख के। हकिकात तो ये है की सीरियल में अगर कोई मर जाता है तो हम रो पड़ते है। किसी पे जुल्म होता है जो आँखे भर जाती है। लेकिन जब वाही घटना हमारे आस पास या घर के बड़े बुजुर्गों के साथ होती है तो हमे जरा सा भी फरक नही पड़ता। रील लाइफ की घटनाओ पे हम बहुत सीरियस होते हियो लेकिन रियल लाइफ में कोई मतलब नही।

यही है इंडिया। हमारा महान इंडिया।

यही नही हमारे नेता लोग भी असली मुद्दों से हट कर एक दुसरे पे छीटा कासी कर रहे है।

यही है इंडिया।

दी ग्रेट इंडिया।

No comments:

Post a Comment